नई दिल्ली: अभिनेता रवि दुबे का कहना है कि अगर यहां कोई चूहे-बिल्ली का खेल न होता तो हर कोई आजाद होता, कलाकार खुले मन से उस चीज को कर पाते जिन्हें वह विश्वास रखते हैं। रवि ने हाल ही में 'आंकड़े' नामक एक कविता लिखी थी।
इस विषय पर कविता लिखने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली? इस पर रवि ने आईएएनएस को बताया, "पिछले कुछ महीनों से हम सभी कई तरह के अनुभवों में से होकर गुजर रहे हैं जिसने हमें भावनात्मक रुप से काफी प्रभावित किया है। इसने हमारी ओर इशारा किया और हम सभी अपने अंदर झांकने लगे, खासकर कलाकार। हम सभी खुद से ये सवाल पूछने लगे कि क्या हम सही रास्ते पर हैं? क्या हम वाकई में अपने काम या अपनी कला से ठीक उसी तरह से जुड़े हैं जैसे कि इंडस्ट्री में आने के बाद हम अपने पहले दिन इससे जुड़े थे? या हम भी नंबर गेम में उलझकर रह गए हैं?"
उन्होंने आगे कहा, "मैं व्यक्तिगत तौर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह वही नंबर गेम है, वही चूहे-बिल्ली का खेल है। अगर कोई रेस नहीं होता, तो हर कोई कितना आजाद होता और अपने पसंदीदा काम को कर पाता।"
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