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Saturday, January 16, 2021

तमाशा का सेट, मीना कुमारी का दीदार और प्यार के दर्द में मुग़ले आज़म का महल, ये थे कमाल अमरोही जिनके एक-एक अल्फ़ाज पाकीज़ा हो गए

Kamal Amrohi Birthday : फिल्मों में उनके लिखे एक-एक अल्फाज पाकीजा हो गए। सेल्युलाइड पर लिखी कविता की तरह थे कमाल अमरोही। कमाल अमरोही ने जब फिल्मों के डायलॉग लिखे तो मुग़ले आज़म हो गए। जब फिल्म की कहानी लिखी तो कामयाबी का 'महल' खड़ा कर दिया। फिल्म को डायरेक्ट किया तो दिले नादान के आंसू बन गए। एक ऐसे फनकार जिन्होंने फिल्मों को सबकुछ दिया। कमाल साहब से पहले राइटर को मुंशी कहा जाता था। उन्होंने ये इतिहास पलट दिया। हिंदी सिनेमा के कमाल थे अमरोही साहब।

तमाम जिंदगी एक अदद प्यार की तलाश में भटकती मीना कुमारी और कमाल अमरोही का रिश्ता पथरीली राह की कहानी सी है। कहते हैं जब पाकीजा के लिए धर्मेंद्र को साइन किया गया तो वो पहले से ही मीना कुमारी को दिल दे बैठे थे। फिर राजकुमार को को साइन किया गया। ये जनाब भी मीना पर मर मिटे। जब शूटिंग शुरू हुई तो राजुकमार जानबूझ कर डायलॉग भूल जाते थे। मकसद था मीना कुमारी के साथ फिर उसे दोहराना। कमाल अमरोही इससे और परेशान हो गई। किसी तरह उन्होंने शूटिंग पूरी कर दी। पर दोनों के सीन्स इतने काट दिए गए कि राजकुमार झल्ला उठे। कमाल अमरोही राजुकमार से इतना नाराज हुए कि बाद में उन्हें किसी फिल्म में साइन नहीं किया।


तमाशा का सेट, मीना कुमारी का दीदार और प्यार के दर्द में मुग़ले आज़म का महल, ये थे कमाल अमरोही जिनके एक-एक अल्फ़ाज पाकीज़ा हो गए

Kamal Amrohi Birthday : फिल्मों में उनके लिखे एक-एक अल्फाज पाकीजा हो गए। सेल्युलाइड पर लिखी कविता की तरह थे कमाल अमरोही। कमाल अमरोही ने जब फिल्मों के डायलॉग लिखे तो मुग़ले आज़म हो गए। जब फिल्म की कहानी लिखी तो कामयाबी का 'महल' खड़ा कर दिया। फिल्म को डायरेक्ट किया तो दिले नादान के आंसू बन गए। एक ऐसे फनकार जिन्होंने फिल्मों को सबकुछ दिया। कमाल साहब से पहले राइटर को मुंशी कहा जाता था। उन्होंने ये इतिहास पलट दिया। हिंदी सिनेमा के कमाल थे अमरोही साहब।



चलते-चलते यूं ही कोई मिल गया था..
चलते-चलते यूं ही कोई मिल गया था..

उत्तर प्रदेश के अमरोहा के कमाल। बॉलीवुड की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के कमाल। चलते - चलते यूं ही कोई मिल गया था.. सरे राह चलते चलते। वहीं थम के रह गई है मेरी रात ढलते ढलते। अमरोही के कमाल ने मीना कुमारी को उनकी ओर खींच लिया। लेकिन इश्क की ये कहानी तड़पने लगी। इतनी जल्दी कि किसी को अंदाजा नहीं था। अजीब दास्तां है ये.. कहां शुरू कहां खतम..ये मंजिले हैं कौन सी न वो समझ सके न हम। कुछ यही कहानी बनी दोनों के प्यार की।

फन के खास मुकाम तक पहुंचे फनकारों के साथ कई कहानियां बनी। जमाने ने कमाल पर कई आरोप लगाए। कमाल अमरोही से मीना कुमारी की पहली मुलाकात तमाशा के सेट पर हुई थी। तब वो अनारकली के लिए एक्ट्र्रेस तलाश रहे थे। पहली ही मुलाकात में अमरोही ने दोगुनी रकम देकर मीना कुमारी को साइन करा लिया। कमाल अमरोही की उम्र मीना कुमारी से कहीं अधिक थी।



सोहराब मोदी से वो मुलाकात
सोहराब मोदी से वो मुलाकात

इसी दौरान महाबलेश्वर से लौटते वक्त मीना कुमारी हादसे का शिकार हो गईं। तब दोनों के बीच शायराना अंदाज में खतों का आदान प्रदान हुआ। इसके बाद दोनों ने शादी कर ली। तब कमाल अमरोही के पहली पत्नी से तीन बच्चे भी थे।

कमाल अमरोही के फिल्मी दुनिया में दाखिल होने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं। वो अमरोहा के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। तब उनका नाम सैयद अमीर हैदर हुआ करता था। एक दिन उनके भाई ने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया। उसी रात उन्होंने अमरोहा छोड़ दिया। लाहौर चले गए। वहां मन नहीं लगा और वो कोलकाता आ गए। फिर मुंबई।

लाहौर में उनकी मुलाकात केएल सहगल से हुई। मिनर्वा के मालिक सोहराब मोदी से उन्होंने कमाल को मिलवाया। सोहराब की फिल्म पुकार सुपरहिट रही। कमाल ने ही कहानी लिखी थी। फिर तो सिलसिला शुरू हो गया। महल की सफलता ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। फिर कमाल ने अपनी कंपनी खोली। कमाल पिक्चर्स। इसी बैनर तले मीना कुमारी के साथ फिल्म दायरा बनाई। उस वक्त महबूब खान अपनी फिल्म अमर बना रहे थे। मधुबाला से पहले मीना कुमारी को ही उन्होंने साइन किया था। अमर को मना करने पर मीना कुमारी को उनके अब्बा ने घर से निकाल दिया। वो सीधे कमाल के पास आ गईं।



आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के बाद..
आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के बाद..

चांदनी रात बड़ी देर के बाद आई है.. ये मुलाकात बड़ी देर के बाद आई है.. आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के बाद.. आज की रात बड़ी देर के बाद आई है... वो रात मीना कुमारी की जिंदगी की सबसे हसीन रात थी। इसी खुशमिजाजी के साथ दायरा की शूटिंग शुरू हुई। इसके बाद मुगले आजम की शूटिंग शुरू हुई। शुरू में सिर्फ वजाहत मिर्जा इसकी कहानी लिख रहे थे। फिर के आसिफ ने कमाल की तरफ रुख किया। सलीम और अनारकली के डायलॉग सदा सदा के लिए लोगों के जेहन में धंस गए।



पथरीले रास्ते पर कमाल और मीना
पथरीले रास्ते पर कमाल और मीना

1958 में मुगले आजम की शूटिंग के दौरान कमाल और मीना के रिश्ते बेहद खराब हो गए। शूटिंग पर ब्रेक लग गया। दोनों के बीच क्या हुआ उसका सच कोई नहीं बता सकता। उस समय की सुर्खियों के मुताबिक मीना की सफलता से कमाल जल रहे थे। वो उन पर हक़ जताना चाहते थे। रिश्तों में कड़वाहट कम करना मुश्किल था। उधर लगातार शराब पीने से मीना कुमारी को कैंसर हो चुका था। 1964 में गईं तो 1970 में लौटीं। सुनील दत्त और खैयाम ने उन्हें फिल्म के लिए फिर से तैयार किया। कमाल के साथ पाकीजा के सेट पर वो काम कर रही थीं।



एक अज़ीम फनकार का अंत
एक अज़ीम फनकार का अंत

चार फरवरी 1972 को पाकीजा पर्दे पर थी और मीना अस्पताल में मौत का इंतजार कर रही थी। 31 मार्च को उन्होंने दम तोड़ दिया। कमाल अमरोही तनहा हो गए। दस साल लगे उन्हें सदमे से निकलने में। फिर रजिया सुल्तान आई। ये बॉक्स ऑफिस पर पिट गई और कमाल बुरी तरह टूट गए। 11 फरवरी 1993 को इस अज़ीम फनकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया।





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