बॉलिवुड की कई मशहूर फिल्मों, टीवी सीरियलों और विज्ञापनों का म्यूजिक दे चुके नैशनल अवॉर्ड विनिंग म्यूजिक डायरेक्टर का शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया। वनराज 93 साल के थे और पिछले काफी समय से बुढ़ापे के कारण बीमारियों से जूझ रहे थे। वनराज इस समय अकेले अपने हाउस हेल्प के साथ मुंबई में रह रहे थे। 31 मई 1927 में जन्मे वनराज भाटिया ने म्यूजिक की पढ़ाई लंदन के रॉयल अकैडमी ऑफ म्यूजिक से की थी। साल 1959 में वह भारत लौट आए और फिर उन्होंने यहीं पर काम करना शुरू कर दिया। वनराज ने सबसे पहले विज्ञापनों के जिंगल बनाने शुरू किए। इसके बाद उन्होंने 1972 में श्याम बेनेगल की फिल्म 'अंकुर' का बैकग्राउंड म्यूजिक दिया। इसके बाद उन्होंने श्याम बेनेगल के साथ भूमिका, सरदारी बेगम और हरी-भरी जैसी 16 फिल्मों में काम किया। वनराज को वेस्टर्न के साथ ही हिंदुस्तानी संगीत की भी गहरी समझ थी। उन्होंने लगभग 7 हजार विज्ञापनों के जिंगल को म्यूजिक दिया था। उन्होंने जाने भी दो यारो, पेस्टॉनजी, तरंग, पर्सी, द्रोह काल जैसी फिल्मों का म्यूजिक देने के अलावा अजूबा, बेटा, दामिनी, घातक, परदेस, चमेली जैसी फिल्मों का बैकग्राउंड म्यूजिक भी दिया था। इसके अलावा वनराज ने खानदान, तमस, वागले की दुनिया, नकाब, लाइफलाइन, भारत- एक खोज और बनेगी अपनी बात जैसे टीवी सीरियलों का भी म्यूजिक दिया। वनराज भाटिया को गोविंद निहलानी के 'तमस' के लिए नैशनल अवॉर्ड दिया गया था। इसके अलावा उन्हें साल 1989 में संगीत नाटक अकैडमी अवॉर्ड और 2012 में पद्म श्री से भी नवाजा गया था।
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